मन की आवाज पार्ट(1) मन/MIND

DRx DEVESH PAL
तो दोस्तों आज के टॉपिक में हम बात करने वाले हैं मन के बारे में मन क्या होता है कैसे दिखता है कितने प्रकार का होता है और हमारे बॉडी में कहां होता है?
                                             तो बहुत सारे लोगों से जब पूछा जाता है कि मन कहां होता है तो वह अपने ब्रैन की ओर इशारा करते है तो फिर माइंड कहां है यानी कि मन कहा है? तो चलिए इसे समझने की कोशिश करते हैं हम कि मन और मस्तिष्क क्या है यानी कि माइंड और ब्रैन क्या है?

                                   
      तो ब्रेन की अगर बात करें तो हम कंप्यूटर की लैंग्वेज में हार्डवेयर कह सकते हैं जिसे हम छू सकते हैं, देख सकते हैं और फिल कर सकते हैं। लेकिन मन की बात करें तो यह एक प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है जो अनविजेबल होता है जो हमें दिखाई नहीं देता है। इस दुनिया में जो भी चीज हमें दिखाई नहीं देती है वहां बहुत पावरफुल होती है, जैसे कि बिजली बहुत पावरफुल होती है लेकिन दिखाई नहीं देती है, भगवान हमको दिखाई नहीं देते हैं लेकिन बहुत ज्यादा पावरफुल होते हैं हमारी सारी व्हिशेज को पूरी करते हैं।



                                 तो अब क्‍वेेेेश्‍चन आता है कि सर ये माइंड होता कितने प्रकार का है, तो माइंड दो प्रकार का होता है एक होता है कॉन्शियस माइंड जिसको हम कहते हैं चेतन मन दूसरा होता है सबकॉन्शियस माइंड जिसको हम अवचेतन मन कहते है।


तो कॉन्शियस माइंड की बात करो तो जिस को यूज करके आप य ब्लॉग पढ़ रहे हो पूरी अवेयरनेस के साथ मैं ब्लाग लिख रहा हूं पूरी अवेयरनेस के साथ, तो इसको कहते हैं कॉन्शियस माइंड मतलब कि प्रेजेंट मोमेंट में अवेयर रहना/जागरूक रहना तो इसी को हम कहते हैं कॉन्शियस माइंड।
                            अब बात करते हैं सबकॉन्शियस माइंड की तो सबकॉन्शियस माइंड को हम लोग कहते हैं स्टोरेज हाउस यानी पास्ट में हमारे अंदर जो भी इंफॉर्मेशन   फिट हुई है तो वह सबकॉन्शियस माइंड में हुई है यानी कि सारी इंफॉर्मेशन कहा स्टोर रहती है तो वह रहती है, सबकॉन्शियस माइंड में।

 
तो अब अगर हम अपने लाइफ में सफल होना चाहते हैं तो हमें क्या करना होगा अपने सबकॉन्शियस माइंड और कॉन्शियस माइंड में तालमेल स्थापित करना होगा राजाराम ने याद कर लिया तो हम आसानी से सफलता पा सकते हैं।
                            तो क्या करना होगा की सबकॉन्शियस माइंड पर भी काम करना होगा और कॉन्शियस माइंड पर भी काम करना होंगा, तो कितने घंटे काम करने की जरूरत है, तो जो सबकॉन्शियस माइंड है उस पर एक घंटा काम करने की जरूरत है पर डे और अगर कॉन्शियस माइंड की बात करें तो उस पर 5 से 6 घंटे भी काम करेंगे तो हम इजीली सक्सेस को अचीव कर लेंगे।


                            लेकिन अब आपके माइंड में क्वेश्चन आएंगे कि सर कुछ लोग तो अपनी लाइफ में दिन में 10 से 12 घंटे काम करते हैं फिर वह लोग अपने लाइफ में सक्सेस क्यों नहीं होते हैं? तो देखिए वह लोग गधे वाली मेहनत कर रहे हैं मतलब कि वह अपने माइंड को यूज करके काम ही नहीं कर रहे हैं वो तो न कॉन्शियस माइंड को यूज कर रहे हैं और ना सबकॉन्शियस माइंड को यूज कर रहे हैं। वह फिजिकल लेवल पर मेहनत किए जा रहे हैं।

                          
तो हम लोग यहां बात कर लेते हैं कि काम कैसे करना है तो देखो कॉन्शियस माइंड को यूज करके काम कैसे करना है मतलब कि आपके नॉलेज को यूज करके काम करना है कि जो आप काम कर रहे हो क्या वह आपके लिए सही है या गलत है तो इसको कहते हैं हम कॉन्शियस माइंड को यूज करके काम करना। अगर हम लोग सबकॉन्शियस माइंड की बात करें तो हम लोग पर डे इसे एक घंटा प्रोग्राम करते हैं अब कैसे प्रोग्राम करते हैं, तो इसे प्रोग्राम करने के बहुत सारे तरीके है इसका बेस्ट तरीका यह है कि फ्यूचर में जो हम बनना चाहते हैं वह हम अभी से मान ले कि हम बन गए हैं कहां मानना है कॉन्शियस माइंड के लेवल पर मानना है कि जो हम फ्यूचर में बनना चाहते हैं वहां


बन गए हैं तो सबकॉन्शियस माइंड वैसे मान लेता है क्योंकि सबकॉन्शियस माइंड को यह नहीं पता कि क्या सही है और क्या गलत है आप इसे जो भी बोलोगे ये वही मान लेगा और उसे पूरा करने में लग जाएगा तो इस तरह हम कॉन्शियस माइंड और सबकॉन्शियस माइंड को यूज करके अपने लाइफ में सक्सेस पा सकते हैं।

तो अगर आप इस ब्‍लाॅॅग का विडियों देखना चाहतें हो ताेे निचे दिए गयें लिंक पर क्लिक करें -  
https://www.youtube.com/watch?v=fqUxCw6n9iM

  
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