हमे ज्‍यादा की आदत हो गयी है

तो दोस्तों आज हम एक ओर इंपॉर्टेंट टॉपिक पर बात करने वाले हैं "ज्यादा" के बारे में, तो आज

 सभी को अपने लाइफ में कोई भी चीज ज्यादा से ज्यादा चाहिए, बचपन से ही हमारा माइंडसेट है ज्यादा यानी कि अच्छा, हमें रहने के लिए भी ज्यादा से ज्यादा जगह चाहिए, हम काम भी करते हैं तो बहुत ज्यादा करते हैं दिन रात बस काम ही करते रहते हैं, हम पढ़ते भी बहुत ज्यादा है और आराम भी


 बहुत ज्यादा करते हैं, हम मस्ती भी बहुत ज्यादा करते हैं और हमें अपनी लाइफ में पैसे भी बहुत ज्यादा चाहिए और हमें अपने लाइफ में खाना भी बहुत ज्यादा चाहिए। 


इसी मानसिकता के साथ हम लोग बड़े हो जाते हैं और अब यह ज्यादा हमारी आदत बन जाती है इसी आदत की वजह से हम डिसाइड ही नहीं कर पाते हैं कि हमें किस काम में ज्यादा समय और एनर्जी लगानी है और किस काम में हमें कम समय और एनर्जी लगानी है, हम सभी कामों में अपना समय


 और एनर्जी लगाने लगते हैं जिस कारण हम अपने जीवन के लक्ष्य यानी की गोल पर अपना हंड्रेड परसेंट नहीं दे पाते हैं और अपने गोल को पूरा नहीं कर पाते हैं और मानसिक लेवल पर भी बीमार पड़ जाते हैं

 तो अगर हम ज्यादा वाले मानसिकता को छोड़ दें और कुछ समय अकेले बिताने लगे और अच्छी नींद लेने लगे, कोई सपोर्ट गेम खेलने लगे और अपने जीवन में से फालतू कामों को पहचान कर उन्हें अपने लाइफ से निकाल दे तो हम,


 अपने लक्ष्य को आसानी से पूरा कर लेंगे, और मानसिक लेवल पर भी स्वस्थ रहेंगे और लाइफ में भी इंजॉय करेंगे ज्यादा के चक्कर में हम लोग आधा भी इंजॉय नहीं कर पाते हैं, तो ज्यादा वाली मानसिकता को छोड़ कर हम अपने गोल को अचीव कर सकते हैं।

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